प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
प्रबुद्ध प्रणेता अटल जी
अनुपम अद्वितीय विभुति, प्रखर प्रबुद्ध प्रणेता।
राग द्वेष, न ईर्ष्या,न हार राड़ का फेटा।
निर्विवाद,निर्वहन किये , राष्ट्र धर्म का नेता।।
अनुपम अद्वितीय विभुति, प्रखर प्रबुद्ध प्रणेता।।
विजय हृदय नमन करें, कोटि कोटि है कम।
भारत के पुत सपुत, विभुति अद्वितीय अनुपम।।
विज्ञ कवि लेखन किमती , अटल वक्तव्य सार।
शब्द मुल्य के धनी प्रणेता ,कोटि कोटि प्रणाम ।
कोटि कोटि प्रणाम तुम्हें,कोटि कोटि सत्कार।
कायल तो कायल रहते,घायल भी करते सम्मान ।।
विजय हृदय तो शुन्य है, मोदी रहे हैं भिज्ञ।
पद चिन्ह पकड़े आपका, विभुति अनुपम विज्ञ।।
अपन पर अपनापन , दुश्मन को ललकार।
खोज रही हैं वसुंधरा,भारत मां के लाल।।
भारत मां के लाल अटल,रो रही भारत मात।
धरती पर कब आओगे,पुकार रही है मात।।
अटल सत्य हैं अटल का, विजय देख सपन।
दुश्मन से न बैर भाव ,अपन हुए हैं अपन।।
डां, विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़।