प्रधानमंत्री जी का परीक्षा पर चर्चा के बहाने संस्कारों का बीजारोपण
प्रधानमंत्री जी का परीक्षा पर चर्चा के बहाने संस्कारों का बीजारोपण
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत के भविष्य बच्चों से परीक्षा पर चर्चा तो एक बहाना था | यदि वास्तविक अर्थ में उनके भावों की सरलता , सहजता और गूढ़ता को देखा जाए तो हम कह सकते हैं कि मोदी जी ने परीक्षा पर चर्चा के माध्यम से बच्चों में उच्च मानवीय गुणों को विकसित करने के साथ ही उनमें संस्कार , सद्गुण और नैतिकता का बीजारोपण किया है | अपनी कुशलता और व्यक्तित्व के माध्यम से उन्होंने बच्चों के असीमित सामर्थ्य को स्वयं बच्चों से रूबरू करवाया है | इसी क्रम में उन्होंने दार्शनिक शैली को अपनाया तथा सहज भावों की अभिव्यक्ति को उजागर करते हुए पंचमहाभूतों और परमशक्ति का जिक्र भी किया ,जो कि मानव में अदृश्य ईश्वरीय शक्ति के रूप में विद्यमान है | उन्होंने एक ओर अभिभावकों से थोपने की प्रवृति को दूर करने अपील की तो दूसरी ओर बच्चों को माता-पिता के प्रति आदर भाव से उन पर विश्वास जताने की बात कही , ताकि रिश्तों की प्रगाढ़ता के साथ ही एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करने का संदेश मिले |
परीक्षा पर चर्चा के दौरान माननीय प्रधानमंत्री ने गुरू-शिष्य परम्परा की महत्ता , प्रतिस्पर्धा की बजाय अनुस्पर्धा एवं स्वयं को आत्मकेन्द्रित करने जैसी महत्वपूर्ण और यथार्थवादी सोच को बच्चों में विकसित करने का अथक प्रयास किया | उन्होंने कहा कि कुछ निश्चित बनने का इरादा कहीं न कहीं निराशावाद को जन्म देता है | अत :यह जरूरी हो जाता है कि कुछ बनने का इरादा न रखकर कुछ करने का नेक इरादा रखना चाहिए जो कि व्यक्तित्व निर्माण हेतु ज्यादा लाभदायक है | क्यों कि कुछ करने की स्वतंत्रता बालकों के व्यक्तित्व विकास में एक नई सोच ,नई दिशा और जज्बा पैदा करती है | इसी क्रम में मोदी जी ने बालकों से अपने भीतर के विद्यार्थी को सदैव उर्जावान बनाने की अपील की और कहा कि हार नहीं मानूंगा की जीजिविषा को जाग्रत करना सफलता का मूलमंत्र है | इसी के साथ कुछ योग की बातें भी माननीय प्रधानमंत्री जी ने बच्चों को बताई कि योग के माध्यम से किस प्रकार हम अपने आपको बौद्धिक एवं शारीरिक स्तर पर मजबूत कर सकते हैं | समय का सदुपयोग , योगनिद्रा एवं तनाव प्रबंधन को बताते हुए उन्होंने एक श्रेष्ठ उत्प्रेरक का परिचय भी दिया |
डॉ० प्रदीप कुमार दीप