प्रधानमंत्री को आह्वान,अब कुछ किजिए कृपा निधान
मैं भारत का रहने वाला भारत की बात बताता हूँ
मैं कम बोलता हूँ आदरणीय मोदीजी से ज्यादा बोलवाता हूँ
इस देश पर मुझे बड़ा गर्व है
विभिन्न पार्टियों की अपनी-अपनी असफलताओं का अपना-अपना तर्क है
ये देश तर्क से बाहर निकल नहीं रहा है
अच्छे दिन तो आ गए पर मौसम बदल नहीं रहा है
भई एक बात तो एकदम साफ है
विपक्ष हमेशा से सत्ता के खिलाफ है
भारत की जनता कितनी बेबस और लाचार है
हमारा प्रधानमंत्री तो बेशक बहुत दमदार है
लेकिन विडम्बना देखिए समस्या अभी भी बरकरार है
भारत के महाशक्ति बनने का मॉडल जैसे लगभग तैयार है
समस्या पर समस्या की एक लंबी कहानी है
जनता की आवाज ही तो नेताजी की जुबानी है
भारत विकास के पथ पर है सिर्फ भारत माँ के आंखों में पानी है
और जहाँ पानी चाहिए किसानों के खेत में वहाँ सूखे ने चादर तानी है
नेता जी जो कुछ भी बता रहे हैं
कहीं ना कहीं हमारी समस्या ही तो दिखा रहे हैं
मैं हर एक समस्या को यहाँ उठा रहा हूँ
इस देश को कम स्वयं को ज्यादा आईना दिखा रहा हूँ
भारत में समस्याओं से घिरी कितनी मजबूत सरकार है
ऐसा लगता है जैसे विकास के गंगा की फूट गयी धार है
गंगा स्वयं रोती है भारत का मुझ पर ये कैसा अत्याचार है
पाप धोते-धोते थक गयीं हूँ,अब उसकी शुद्धता की भी करारी हार है
सरकारी स्कूलों में शिक्षा नहीं सबको शिक्षा का अधिकार है
विदेश भागें पैसे वाले,देश को कैशलेस बनाने की योजना तैयार है
कुछ राज्यों में सरकार बदल रही है,हवा कुछ और चल रही है
जनता समस्या की आग में जल रही है
ठंडी में बेरोजगारी भी तेल में पकौड़े तल रही है
सारा भारत परिवर्तन आंख फाड़कर देख रहा है
और दुकानदार भी सामान धूल झाड़कर बेच रहा है
अब “इंडिया”इंडिया नहीं रहा डिजिटल हो गया है
और भारत भी सीमाओं को तोड़कर यूनिवर्सल हो गया है
किसानों ने अपने खेतों में आस बोयी है
क्योंकि वो जानते हैं सरकारें अभी भी गहरी नींद में सोयी है
पैसा अब दिखता नहीं सब हो गया है कैशलेस
मंहगाई भी कर रहा है आम जनता को खूब चेस
भ्रष्टाचार की आंधी सबको उड़ा के ले जा रही है
और नेताओं को देश की चिंता दिन-रात सता रही है
माँ बहनों की अस्मत पर आँच आयी है
हवस की आग ने मानव की आत्मा जलायी है
जमीर बेच के नेता ईमानदारी का पदक पा रहा है
देश का पेट भरने वाला किसान मौत को गले लगा रहा है
चुनाव, कुर्सी, सत्ता, शक्ति के लिए नेता मतदाता को ललचा रहा है
आने वाला समय भारत को कैसे-कैसे दिन दिखा रहा है
नेताओं से बड़े हितैषी अब पैदा होना बंद हो गए
ईमानदारों के इस देश में बेईमान कितने चंद हो गए
कड़ी निंदा, कठोर कदम,असहयोग की भावना और कटु आलोचना
आप जिस नाव पर सवार हैं तय है इसका डूबना
इस समस्याओं के सागर में समाधान की पतवार चलाइए
बहुत हो गया भाषण अब कुछ जबरदस्त करके दिखाइए
अगर आप सच्चे प्रधानमंत्री है तो आदरणीय
समस्याओं को जड़ से उखाड़ के “समस्याहीन भारत”का झंडा गड़ाइये
पूर्णतः मौलिक स्वरचित कृति
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छग.