प्रदूषन
इस पृथ्वी के हम सब ऋणी है!
इसकी दक्षिणा क्या कभी गिनी है?
देती है शुद्ध वायु,जल,फल-फूल,
सुगंधित सुरम्य वातावरण धनी है!!
बदले मे हम दे रहे मात्र उसे प्रदूषण!
क्या सोचा हम छीन रहे सारे आभूषण!!
ज़हरीली गैसो के उत्सर्जन से खुद को मारे!
छाया चारो ओर गहन अंधकार जरा विचारे!!
जल-वायू,थल से नभ तक प्रदूषित कर डाली!
पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी की हालत कैसी कर डाली?
वाहन-कारखानो नदी -नालो के प्रदूषण पर अंकुष लगाए!
आने वाली पीढी का भविष्य सुरछित रखने को कदम उठाए!!
बोथिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं,फेस-2.सिकंदरा,आगरा,-282007
मो:9412443093