प्रदूषण
रोको ज्यादा बढ़ रहा , प्रदूषण का जाल ।
ख्याल न किया अगर अभी,कर देगा बेहाल ।।
कर देगा बेहाल , हवा को भी तरसोगे ।
देख गगन की ओर , कहोगे कब बरसोगे?।
कहे श्री कविराय , एक-दूसरे को टोको ।
प्रदूषण का जाल , बढ़ रहा ज्यादा रोको ।।