प्रदूषण
बन्धे में घिरती हुयी, नालों में तब्दील.
सई, गोमती, घाघरा, होती सबको फील.
होती सबको फील,गलत है सबकी नीयत.
करें प्रदूषण दूर,न समझें मिली वसीयत.
कहें प्रेम कविराय, बन्द हों गोरखधन्धे.
करके यही प्रयत्न , सुरक्षित होगें बन्धे।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम