प्रदूषण से हानी है
बदला मौसम वायु है दूषित मानव की मनमानी है ।
बना बनावट का बाजार दूषित भोजन पानी है ।
बना दिया खुद जो चाहा प्रदूषण अब आनी है ।
आमंत्रण है रोग प्रलय का कृत्रिमता से हानी है ।
बाढ भयंकर हो जाते है सूखे से परेशानी है ।
आदत बदलो प्रकृति न छेड़ो शुद्ध हवा यदि पानी है ।
काट दिए हैं वन नग को मानव की कारस्तानी है ।
समझो सम्भलो मानव हे प्रदूषण से बडी हानी है ।
वरना जीवन नहीं बचेगा विन्ध्य की भविष्यवानी है ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र