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25 Oct 2024 · 1 min read

प्रदूषण

गंगा जल के पान से, खुले स्वर्ग के द्वार.
उल्टी दस्त जुलाब से, मिले मोक्ष हर बार.
मिले मोक्ष हर बार, कानपुर हो या पटना.
बहे प्रदूषित गंग , नित्य यह होती घटना.
कहें प्रेम कविराय, सदा सच होता नंगा.
शोधित करते किंतु, प्रदूषित रहती गंगा.

डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

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