प्रदूषण
गंगा जल के पान से, खुले स्वर्ग के द्वार.
उल्टी दस्त जुलाब से, मिले मोक्ष हर बार.
मिले मोक्ष हर बार, कानपुर हो या पटना.
बहे प्रदूषित गंग , नित्य यह होती घटना.
कहें प्रेम कविराय, सदा सच होता नंगा.
शोधित करते किंतु, प्रदूषित रहती गंगा.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम