प्रथमा
दुःखी हृदय की आह जब निकली होगी ,
वह उस कवि की पहली कविता बनी होगी ,
सपनों की अनुभूति जब पृष्ठभूमि में उकेरी होगी ,
वह उस चित्रकार की पहली कलाकृति रही होगी ,
भूखे पेट की श्रुधा तृप्ति शुभकामना जब
निकली होगी ,
वह उस प्रभाव प्रदत्त ईश्वर की प्रथम कृपा बन
प्रस्तुत रही होगी ,
समरवीर के उत्साह की चरम सीमा जब
रही होगी ,
वह उसके शौर्य की प्रथम गाथा बन
प्रस्तुत रही होगी ,
आत्मज्ञान के चरमोत्कर्ष पर
संज्ञान अवस्था जब रही होगी ,
वह व्यक्ति विशेष के आध्यात्मिक ज्ञान का
प्रथम सोपान बनी होगी ।