Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2018 · 3 min read

प्रत्यक्ष अनुभव की सार्थक अभिव्यति है ‘ख्यालों की दुनिया’

पुस्तक समीक्षा :

प्रत्यक्ष अनुभव की सार्थक अभिव्यति है ‘ख्यालों की दुनिया’
– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट
‘ख्यालों की दुनिया’ युवा कवि नीरज बंसल (नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’) की हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित काव्य कृति है। यह इनकी दूसरी काव्य कृति है। इससे पहले इनकी एक अन्य काव्य कृति ‘कोशिश’ प्रकाशित हो चुकी है। प्रस्तुत काव्य कृति में कवि ने मानव जीवन से जुड़े विविध प्रसंगों के संदर्भ में अपने प्रत्यक्ष अनुभव को अभिव्यक्त किया है। व्यावसायिक दृष्टि से कवि का सम्बंध व्यापार से है। व्यक्ति की व्यापारिक दृष्टि हर चीज़ में नाप-तोल और अपने स्तर पर अपने लिए लाभ का रास्ता खोजने की होती है, साहित्य के माध्यम से मनोरंजन अथवा दार्शनिक संदेश से व्यापारिक प्रवृत्ति के किसी भी व्यक्ति का कम ही वास्ता होता है। किन्तु आश्चर्य की बात है कि कवि नीरज रतन बंसल ‘पत्थर’ ने अपनी कविताओं के माध्यम से अपना नहीं, बल्कि अपने राष्ट्र व समाज का लाभ सुनिश्चित करने का एक सार्थक एवं प्रेरक प्रयास किया है। यथा कवि ने प्रकृति, विद्यार्थी जीवन, आत्म चिंतन, जल संरक्षण, राष्ट्र प्रेम, सामाजिक जीवन और ‘माँ’ के प्रति निजी अनुभव से उपजी अपनी संवेदना को अपनी कविताओं के रूप में व्यक्त किया है।
इनकी काव्य बानगी के तौर पर सबसे पहले, यदि हम ‘माँ’ के प्रति कवि की भावनाओं को लें, तो इन्होंने अपनी इस कृति को माँ को समर्पित किया है और कहा है -‘‘हवा में तैरते ख्याल! बड़ी मुश्किल से क़ाग़ज़ पर उकेरे हैं, मैंने क़ग़ज़ की लकीरों पर, बेतरतीब पड़े सितारे सलीके से बिखेरे हैं, सौ जन्मों तक सेवा करके भी ना उतार पाऊँगा जिसे, अ माँ मुझ पर शायद, उससे भी ज़्यादा अहसान तेरे हैं।’’
इसी तरह राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त जी की तर्ज़ पर देशवासियों को चेताने वाला इनका संदेश देखिए-
क्या थे हम क्या होते जा रहे हैं, थोड़ा विचार करो
खुद भी मनुष्य हो जाओ और सारी मानवता से प्यार करो
बना दिया इस आधुनिकीकरण ने सबको अंधा
होकर वशीभूत धन दौलत के, मत प्राकृतिक सम्पदा को बेकार करो
सरहद पर जाकर दुश्मन को सबक सिखाने की तमन्ना को अभिव्यक्त करने वाली राष्ट्र प्रेम से परिपूर्ण इनकी कविता ‘कोई ले चलो मुझे सरहद पार’ की ये पंक्तियां भी अपनी संदेश क्षमता के कारण पाठक का ध्यान बरबस अपनी तरफ खींचती हैं –
पुकार रही है मेरे देश की मिट्टी मुझे
कोई रोको न मुझे सरहद पर जाने से
या तो खबर आएगी जीत की या फिर आएगा मेरा शीश
मैं तो मरना चाहता हूँ देश की खातिर किसी न किसी बहाने से
इसी तरह से स्वर्ग और नर्क की धारणा-अवधारणा को लेकर जीवन के प्रति कवि दृष्टिकोण और संदेश भी क़ाफी सार्थक एवं विश्वसनीय प्रतीत होता है –
कुछ नहीं होता स्वर्ग-नर्क कहीं पर
ज़िन्दगी यहीं पर पूरे कर लेती है सारे हिसाब
जो सच्चे दिल से निभाता है मानव जीवन वही मोक्ष पाता है
वरना तो चाहे हज़ारों जन्म ले लो,
यूँ ही बने रहोगे अपनी कामनाओं के गुलाम
इसी प्रकार अन्य बहुत से विषयों को लेकर भी कवि ने प्रत्यक्ष अनुभव के आधार पर जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को अभिव्यक्त किया है और स्वयं को कविता से जोड़ने के साथ-साथ अपनी कविता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने का प्रयास किया है। भले ही छपाई में बहुत सी अशुद्धियां और कविता रचना के शास्त्रीय विधान की दृष्टि से बहुत सी कमियां हैं, किन्तु संदेश की दृष्टि से युवा कवि का प्रयास सार्थक एवं सराहनीय है। वस्तुतः कहा जा सकता है समीक्ष्य कृति ‘ख्यालों की दुनिया’ कवि की प्रत्यक्ष अनुभूति की सार्थक अभिव्यक्ति है और इसके लिए वह निश्चित रूप से बधाई का पात्र है।

– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट
अध्यक्ष, आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान,
सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग कोंट रोड़,
भिवानी-127021(हरियाणा)
मो. – 9416690206
——————————————————-
पुस्तक: ख्यालों की दुनिया
रचनाकार: नीरज बंसल
प्रकाशक: अर्पित पब्लिकेशन्स, कैथल (हरियाणा)
पृष्ठ: 175 मूल्य: रुपये 350/-
—————————————————————-
युवा कवि नीरज रतन बंसल की कृति ‘ख्यालों की दुनिया’ उपरोक्त समीक्षा सहित ‘जयलाल दास पुस्तकालय एवम् अध्ययन केंद्र भिवानी में पाठकों एवम् अध्यताओं के लिए उपलब्ध है, अन्य साहित्यकार भी अपनी कृतियाँ समीक्षार्थ भिजवा सकते हैं.
– आनंद प्रकाश आर्टिस्ट
——————————————————

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 708 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पतंग
पतंग
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
Ravi Prakash
तन्हाई
तन्हाई
ओसमणी साहू 'ओश'
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
जो जुल्फों के साये में पलते हैं उन्हें राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
4783.*पूर्णिका*
4783.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Life through the window during lockdown
Life through the window during lockdown
ASHISH KUMAR SINGH
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"ताकीद"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार के पंछी
प्यार के पंछी
Neeraj Agarwal
मित्रता चित्र देखकर नहीं
मित्रता चित्र देखकर नहीं
Sonam Puneet Dubey
तुम और मैं
तुम और मैं
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
भोले
भोले
manjula chauhan
कामुक वहशी  आजकल,
कामुक वहशी आजकल,
sushil sarna
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आगमन उस परलोक से भी
आगमन उस परलोक से भी
©️ दामिनी नारायण सिंह
जब प्रेम की परिणति में
जब प्रेम की परिणति में
Shweta Soni
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
कुछ फूल खुशबू नहीं देते
Chitra Bisht
#मूल_दोहा-
#मूल_दोहा-
*प्रणय*
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
हिरख दी तंदे नें में कदे बनेआ गें नेई तुगी
Neelam Kumari
अर्जक
अर्जक
Mahender Singh
कैसी ये पीर है
कैसी ये पीर है
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
Neelofar Khan
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी
लक्ष्मी सिंह
* जन्मभूमि का धाम *
* जन्मभूमि का धाम *
surenderpal vaidya
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
"भँडारे मेँ मिलन" हास्य रचना
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
मां है अमर कहानी
मां है अमर कहानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चोर साहूकार कोई नहीं
चोर साहूकार कोई नहीं
Dr. Rajeev Jain
एक ही राम
एक ही राम
Satish Srijan
Loading...