Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2017 · 1 min read

प्रतीक बेटियाँ

राष्ट्र की पूँजी हैं बेटियाँ
राष्ट्र की प्रतीक ये बेटियाँ ,
अम्बर को बाँहों मे लेती ये बेटियाँ ,
एन सी सी मे परिशिक्षित ये बेटियाँ ।
उन्नत मस्तक आकर्षक वेशभूषा ,
चुस्त चाल पुष्ट देह यष्टि ,
मधुर मुसकान , देश सेवा को व्याकुल
स्वावलम्ब , अनुशासन भरपूर ,
यह है शक्ति स्वरूपा ।
दरढपरतिज्ञय हो निकली है
राष्ट्र नव निर्माण उद्देश्य लिये ,
हाथ से हाथ मिलाओ बेटियों ,
अवसर है अनूप ।।
तुम से ही भारत !
तुम ही राष्ट्र प्रतीक ।।

“मधु”

Language: Hindi
690 Views

You may also like these posts

आँधियों से क्या गिला .....
आँधियों से क्या गिला .....
sushil sarna
*** सैर आसमान की....! ***
*** सैर आसमान की....! ***
VEDANTA PATEL
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
डॉ अरुण कुमार शास्त्री - एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऐ ज़िन्दगी...!!
ऐ ज़िन्दगी...!!
Ravi Betulwala
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
हाथ में फूल गुलाबों के हीं सच्चे लगते हैं
Shweta Soni
बुढापा
बुढापा
Ragini Kumari
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Thanh Thiên Phú
Thanh Thiên Phú
Thanh Thiên Phú
Danger Lady 🧛🧟
Danger Lady 🧛🧟
Ladduu1023 ladduuuuu
मन के भाव हमारे यदि ये...
मन के भाव हमारे यदि ये...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
कविता - शैतान है वो
कविता - शैतान है वो
Mahendra Narayan
पन बदला प्रण बदलो
पन बदला प्रण बदलो
Sanjay ' शून्य'
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
पुष्प सम तुम मुस्कुराओ तो जीवन है ।
Neelam Sharma
" बदलाव "
Dr. Kishan tandon kranti
4633.*पूर्णिका*
4633.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
होली
होली
नूरफातिमा खातून नूरी
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
काल्पनिक अभिलाषाओं में, समय व्यर्थ में चला गया
Er.Navaneet R Shandily
सुहाना मंज़र
सुहाना मंज़र
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
प्यार
प्यार
Rambali Mishra
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Shashi Mahajan
छोटी-छोटी खुशियों से
छोटी-छोटी खुशियों से
Harminder Kaur
मैं तो निकला था,
मैं तो निकला था,
Dr. Man Mohan Krishna
कोई न सुन सके वह गीत कभी गाया क्या ?
कोई न सुन सके वह गीत कभी गाया क्या ?
Kanchan Gupta
मुस्कान आई है ....
मुस्कान आई है ....
Manisha Wandhare
आ
*प्रणय*
बाबा भीम आये हैं
बाबा भीम आये हैं
gurudeenverma198
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
हम जो थोड़े से टेढ़े हो रहे हैं
Manoj Mahato
आप क्या समझते है जनाब
आप क्या समझते है जनाब
शेखर सिंह
काव्य
काव्य
साहित्य गौरव
Loading...