“प्रतीक्षा”
प्रेम,परवाह, प्रतीक्षा
यही मेरी पूँजी है
मैं वही,
तुम पर खर्च कर देती हूँ।
फिर न प्रेम बचता है,न परवाह
बचती है,
तो सिर्फ़ ‘प्रतीक्षा’
प्रेम,परवाह, प्रतीक्षा
यही मेरी पूँजी है
मैं वही,
तुम पर खर्च कर देती हूँ।
फिर न प्रेम बचता है,न परवाह
बचती है,
तो सिर्फ़ ‘प्रतीक्षा’