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22 Jun 2018 · 1 min read

प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम –आर के रस्तोगी

प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम
अभी तक क्यों नहीं आये सनम ?
सूर्य भी अब अस्त हो चुका
घर भी अपने वह जा चुका
पक्षी भी घौसलो में आ चुके
श्रमिक भी थक कर आ चुके
मै किसको बताऊ ये अपना गम
प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम
अभी तक क्यों नहीं आये सनम ?

दीप भी अब जल चुके
तारे भी अब जगमगा उठे
चाँद भी चाँदनी बिखेर रहा
सबका मन ये मोह रहा
इन सबको देखकर तडफ रहे हम
अब तो गले लग जाओ सनम
प्रतीक्षा कर रही तुम्हारी सनम
अभी तक क्यों नहीं आये सनम ?

गगन में भी छाया अँधेरा
भू पर भी छा गया अँधेरा
दिन भी बन गया है रात
देखकर काँप रहा है गात
बादल भी अब गरज रहे है
मुझको भी अब ये डरा रहे है
बिजली भी अब चमक रही है
तुमको ये रास्ता दिखा रही है
अब तुम कहाँ हो सनम ?
प्रतीक्षा कर रही हूँ तुम्हारी सनम
अभी तक क्यों नहीं आये सनम ?

अब तो भोर हो चुकी है
मंद समीर चल चुकी है
तारे भी घर जा चुके है
चाँद भी घर जा चूका है
पक्षी भी सब जग उठे है
फूल भी अब खिल चुके है
पूरी रात न सो सकी सनम
अलसाई हुई मेरी आखे सनम
कब आओगे मेरे प्यारे सनम ?
पर्तीक्षा कर रही हूँ तुम्हरी सनम
अभी तक क्यों नहीं आये सनम ?

आर के रस्तोगी
9971006425

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