प्रतिस्पर्धा
जीवन के हर मोड़ पर,
प्रतिस्पर्धा तो निश्चित है,
प्रतिस्पर्धा किए बगैर न,
संप्राप्ति हमें सफलता है।
दुनिया में किसी भी प्राणवान को,
कुछ लहने के लिए,
प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है,
होड़ा-होड़ी की चाह रख,
आगे बढ़ने से ही हमें,
संप्राप्ति हमारी मंजिल है।
पक्षी भी क्षितिज से अभिरने की,
चाह रख आपस में,
प्रतिस्पर्धा की हुंकार लिए,
उड़ जाती है नीले नभ में।
विजेता को जीत की,
खुशी तब अभिरती है,
जब वह किसी प्रतिस्पर्धी को,
हराकर करता जीत हासिल है।
नाम :- उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार