प्रतिभा
प्रतिभा
प्रतिभा हो तो मानो ऐसी हो,
जैसे पर्वत की चटान जैसी हो|
अनेक हरे भरे गहरे रंगों के जैसी हो,
सावन में होली की हुलास जैसी हो|
-ऐसी हो प्रतिभा||
जिसमे नई कल्पनायो की उडान भरी हो,
जो – जिन्दगी में खुशिया भर दे ऐसी हो प्रतिभा||
जिससे कोशलता का अपुर विकास बड़े,
जो हर किसी के जीवन में विकास करे||
-ऐसी हो प्रतिभा||
गर्मी में कदम की शीतल छाव जैसी हो,
चन्द्रमाँ जैसे चमकती रहे ऐसी हो प्रतिभा||
अतीत को छोड़कर भविष्य की और बड़े,
हर दिल को निर्मल करे ऐसी हो प्रतिभा||
जो सफलता की उडान में जोश भर दे,
जीने का सहारा बने ऐसी हो प्रतिभा||
अच्छी यादो को संजोकर जो हौसला बड़ा दे,
रहने के लिए जो किसी का घोसला बना दे|
-ऐसी हो प्रतिभा||
जो प्रकृति की गोद में कुछ खोज कर निकल ले,
जो कुशलता से जीवन जीने का पहाडा सिखा दे|
-ऐसी हो प्रतिभा||
लोग कहते हैं ऐसी हो-वैसी हो प्रतिभा,
मैं कहता हु जो जीने का डग सिखा दे|
-ऐसी हो प्रतिभा||