बंदूक के ट्रिगर पर नियंत्रण रखने से पहले अपने मस्तिष्क पर नि
ఓ యువత మేలుకో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मेरी जिंदगी में मेरा किरदार बस इतना ही था कि कुछ अच्छा कर सकूँ
-- ग़दर 2 --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
माना कि शौक होंगे तेरे महँगे-महँगे,
मुस्कुराती आंखों ने उदासी ओढ़ ली है
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
आंखें भी खोलनी पड़ती है साहब,
किससे कहे दिल की बात को हम
जब मित्र बने हो यहाँ तो सब लोगों से खुलके जुड़ना सीख लो
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
ज़िंदगी ने अब मुस्कुराना छोड़ दिया है
रक्षा में हत्या / मुसाफ़िर बैठा
बिछड़ के नींद से आँखों में बस जलन होगी।
Prashant mishra (प्रशान्त मिश्रा मन)