कर्मा
अधरों पर तेरी मुस्कान रहे,
उस ईश्वर का वरदान रहे ।
ईश्वर की रचना हो अनुपम,
उसका भी मान सम्मान रहे ।
दुःख के कारक तुम बनो नहीं,
मेरे मीत सदा यह ध्यान रहे ।
जो दोगे वही वापस होगा,
इसका भी जरा अनुमान रहे।
उस पथ पर ही आगे बढ़ना,
जिस पथ पर कम व्यवधान रहे।
उनके आँसू भी पोंछ कभी,
तुम बिन विहीन जो प्राण रहे ।
जो बोल हृदय में तोल प्रिये,
शब्दों का भी तो भान रहे।
तेरे तीक्ष्ण शब्द कुछ हृदय में,
विषबुझे तीर के समान रहे।
गर मीठे बोल नही हैं तो,
नफरत का भी न स्थान रहे।
अपनों को ऐसा दुःख ना दो,
जीवित हों, पर ना जान रहे।
ईश्वर करता है न्याय प्रिये,
खुद पर ना यूँ अभिमान रहे।
कर्मा ऐसा ना हो कि कभी,
उस लोक नही क्षमादान रहे।
पर-राह बिछाओ पुष्प अगर,
हर राह बड़ी आसान रहे।
हो हृदय भरा बस प्रेमभाव,
मिलता भी यही प्रतिदान रहे।
स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय🖋️