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3 Feb 2022 · 1 min read

प्रतिछाया

मैं आज की रात सोते समय थोड़ी सी परेशान और उदास थी। कई बार जिन्दगी में बहुत खालीपन महसूस होता है और सर्द तन्हाइयों की स्याह काली रातें तो किसी काले नाग की तरह ही डसती हैं। समय पल पल कैसे करवट बदलता रहता है। अभी तक यह घर जो भरा पूरा था, एक एक करके सबके यह दुनिया छोड़कर जाने से सूना पतझड़ का उपवन सा प्रतीत होता था। मेरे प्रियजन जो अब मेरे पास नहीं थे उनकी याद मुझे हरदम ही सताती थी। कई बार तो कुछ ज्यादा ही। रात तो जैसे तैसे काटनी ही थी। उन्हें याद करते करते मैं भारी मन लिए सो गई। सुबह उठी तो मेरी आंखों के सामने एक दिव्य आत्मा रोशनी से भरी कंदील लेकर मेरा स्वागत करती मेरे बिस्तर के सिरहाने बैठी थी। यह सपना नहीं खुली आंखों से दिखता एक सच था। पलक झपकते ही यह दृश्य आंखों के सामने से ओझल हो गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह कोई सच नहीं बल्कि एक स्वप्न ही था। यह दिव्य आत्मा कुछ और नहीं मेरे ही शुद्ध विचारों की प्रतिछाया थी।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Comment · 446 Views
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