प्रण
एक सुबह जब मै सैर पर निकला तो देखता हूं कि एक लड़का घूरे में से कुछ निकाल कर इकट्ठा कर रहा है ।मैं देखता हूं की वह कुछ प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक का सामान इकट्ठा कर कर रहा है ।मैंने उससे पूछा इसका क्या करोगे उसने जवाब दिया की इन प्लास्टिक के सामान को बेचकर उससे जो पैसे मिलेंगे उससे पेन कॉपी और किताबे खरीदेगा और उन्हें अपने छोटे भाई बहनों को देकर उन्हें पढ़ने लिखने को कहेगा ।वह नहीं चाहता कि उसके छोटे भाई बहन अनपढ़ रहे और उसकी तरह कूड़ा बीनने के लिए मजबूर हो जाएं ।वह चाहता है कि वे पढ़ लिख कर बड़े होकर एक अच्छी जिंदगी बसर करें। उसकी बात सुनकर मैं बहुत प्रभावित हुआ मैंने सोचा एक छोटा सा बालक परिस्थिति वश पढ़ लिख ना सका की सोच इतनी ऊंची हो सकती है कि वह अपने जैसे लोगों का भविष्य उज्जवल बनाना चाहता है। परंतु हम जैसे लोग जो कि पढ़े लिखे हैं का योगदान इस दिशा में उतना नहीं है जितना होना चाहिए ।यदि हम इस घटना से प्रेरणा लेकर इस दिशा में कुछ करने को तत्पर हों तो देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने में सार्थकता आ सकती है ।हम किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हों वहीं से हम हमारे सामर्थ्य अनुसार इस पुनीत कार्य में योगदान दे सकते हैं ।आज से हम यह प्रण लें कि किसी भी बालक को हम अनपढ़ नहीं रहने देंगे और हमसे जितना हो सकेगा उतनी उनकी मदद करके उन्हें पढ़ने और लिखने में और योग्य बनने में सहायता प्रदान करेंगे।