आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तुम्हारे अंदर भी कई गुण होंगे,
कुदरत का करिश्मा है दरख्तों से खुशबू का महकना है ,,
"तानाशाही" की आशंका खत्म, "बाबूशाही" की शुरू। वजह- "चन्द्र ब
सबके सुख में अपना भी सुकून है
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
दूरियाँ जब बढ़ी, प्यार का भी एहसास बाकी है,
हिंदी दलित साहित्य में बिहार- झारखंड के कथाकारों की भूमिका// आनंद प्रवीण
*पद्म विभूषण स्वर्गीय गुलाम मुस्तफा खान साहब से दो मुलाकातें*
एक उम्र बहानों में गुजरी,