प्रणय बंधन
प्रणय बंधन
निस्पंद आँखें तड़पन छुपाए
प्रेम-रोग हृदय चीर जाए
नयनों में दीपक से जलते
प्रीत मिलन के सपने पलते
द्रिगु मूँदूँ छवि तेरी चित्रित
मुक्तामणि से आँसू झरते
वेदना आंसुओं रथ बैठा
ढूंढती पलकों आस टिका
अधर सस्मित गिले नयन
चिर-विरह का प्रणय बंधन
पूछता विस्मित मन सर्वदा
क्यों लुटायी
तुम पर मोतियों की संपदा
रेखा