प्रणय की कल्पना
सोचा था कि
जीवन भर
साथ तुम्हारे हर्षाउंगा
सोचा था कि
मन मंदिर में
सपनो का इक
सुंदर बाग लगाऊंगा।
सोचा था कि संग तुम्हारे मन मयूर नाचेंगे
सोचा था कि नवीन रंग आंखों में राचेंगे।
मिलकर जीवन की
नौका में
सैर करेंगे अलबेली
तुमसे मुझमे मुझसे तुम में
प्रेम का अविरल संचय होगा
बालक पन की
यौवन में भी
रोज करेंगे अठखेली।
गोविन्द मोदी