प्रखर देख हैरान
भारतवासी एक हो, मान रहे क्यूँ हार ।
लोकतंत्र के राज में, तुम ही हो सरकार।।
दान और मतदान में, केवल दे लो ध्यान ।
सारे कष्टों की वजह,जान सको तो जान ।।
बटने की भी हद हुई, ‘प्रखर’ देख हैरान ।
समरसता दिखती नहीं, भारत देश महान ।।
यहाँ बुद्ध की राह है , हैं कबीर रसखान ।
बस दुनियाँ है मानती ,हम बैठे अनजान ।।
नव भारत सरदार का, करो सभी गुणगान ।
अगर चाहते आप हो ,जीवित रहे किसान ।।
-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’