प्रकृति
प्रकृति
बारिश ने खुशियों का मौसम लाया है,
किसानों की दुविधा को सुलझाया है |
प्रकृति अपना सर्वस्व देकर,
मनुष्य की आकांशा पूरी कर पाती है |
परन्तु तब भी यह बिना शिकायत किए सब सह जाती है ,
जो पेड़ काटें गए…
इनका भुगतान करने हेतु सालों लग जाते हैं |
फिर यही पेड़ वापिस कटे जाते हैं ,
ऐसा क्यों होता है कि..
इन बेचारो की व्यथा कोई नहीं समझ पता है |
मनुष्य स्वयं की तृप्ति पाकर खुश हो जाता है |
पेड़ों की दशा पर रोता सारा संसार है,
परन्तु तब भी
पेड़ों की कटौती बना कारोबार है |
फिर कभी ऐसा समय भी आएगा ,
जब न पेड़ रहेंगे
और न ही यह प्रकृति…
तो मनुष्य किस पर जुल्म ढायेगा ??
किस पर जुल्म ढायेगा ????????
मुस्कान यादव
आयु – १५ साल