प्रकृति, योग, भारतीय संस्कृति, और कोरोना पर जीत- आनन्द्श्री
प्रकृति, योग, भारतीय संस्कृति, और कोरोना पर जीत- आनन्द्श्री
अवसाद और भयावह की इस माहौल में बहुत कुछ नकारात्मक हुआ। ऊपर से लॉक डाउन के कारण घूमने फिरने के आदी लोगों को यह बंधन मानसिक रूप से कदापि स्वीकार नहीं हो सकते इसलिए अवसाद उन्हें घेर रहा है। अवसाद बढ़ाता गय। जिस संस्कृति ने योग, आयुर्वेद दिया इसी उसी सस्कृति के पालन न करने के कारण यह अवस्था हो गयी। अवसाद ने मानसिक रोगियों की संख्या को बड़ा दिया। आइसोलेशन के कारण एकांतवास को झेलना पड़ता है। दुनिया के लिए सब कुछ नया था, लेकिन जो आध्यात्मिक मात्र से जुड़े थे उन्होंने इस एकांतवास का फरपुर प्रयोग किया।
अब इसमें योग हो या फिर मेडिटेशन इसे ही विश्व को समझना और समझाना होगा, पर उससे पहले हमें अपने घर में अपनी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करना होगा। यह तो तय है कि विदेश और विदेशी तौर-तरीके हमने अपनाएं जरूर हैं पर उनमें सहज व सामूहिक स्वीकार्यता दिखाई नहीं देती। इस महामारी में हमारी नजर दुनिया की इस बीमारी के खिलाफ लड़ाई के तौर तरीकों से ज्यादा हमारी दृष्टि अपनी परंपराओं व प्रकृति के अंदर खोजनी होगी। प्रकृति से छेड़छाड़ का कारण कोरोना है और इसको हराने के रास्ते भी प्रकृति से ही मिलेंगे इसलिए यह जरूरी है कि इस महामारी से बचने के लिए प्रभु और प्रकृति दोनों का वंदन करें। क्यूंकि प्रकृति, योग, भारतीय संस्कृति, से ही कोरोना पर जीत हासिल होगी।
आनंदश्री – प्रो डॉ दिनेश गुप्ता
आध्यात्मिक व्याख्याता माइंडसेट गुरु
8007179747