# प्रकृति के रंग
कुदरत ने हमको दिया ।
रंगों का उपहार।।
आओ मिलकर सब मनाएं।
होली का त्योहार।।
धरती के कण कण में है।
रंगों की भरमार ।।
आओ मिलकर सब मनाएं ।
होली का त्योहार।।
रंग रंग के फूलों से सजा है।
धरती मां का आंचल।।
रंग न देखें जाति-पाति
और रंग न देखें मजहब ।।
हर रंग का अपना मतलब ।
अपनी है पहचान ।।
आओ मिलकर सब मनाएं।
होली का त्योहार।।
खेतों की हरियाली देखो ।
मन को बड़ा लुभाती है ।।
सरसों के फूलों ने खेतों पर।
पीली चुनरिया डाली है।।
टेसू के फूलों से देखो ।
लद गई डाल डाल।।
बागों में फूलों को देखकर ।
तितली गाना गाए ।।
मनुज से लेकर जीव जन्तु।
भी मस्त मगन हो जाएं ।।
एक दूसरे को दे हम।
प्रेम की सौगात ।।
आओ मिलकर सब मनाएं।
होली का त्योहार।।
प्रकृति ने हमको दिया ।
जब फूलों का उपहार ।।
सोचों फिर क्यों हम मनाएं।
केमिकल वाले रंगों से त्योहार।।
लाल हरे बैंगनी बसंती ।
काले नीले पीले।।
सब फूलों से रंग बनाओ।
फिर मिलजुल कर खेलों होली।।
आओ मिलकर सब करें ।
प्रकृति का सम्मान ।।
प्रकृति से ही मिले ।
हम सबको जीवन दान।।
इन रंगों के सार को हम सब।
यदि लें जीवन में उतार ।।
जीवन बन जाएगा हर दिन।
होली का त्योहार
नोट-हमें अपने बच्चों को प्रकृति से प्रेम करना सिखाना चाहिए।
#रूबी चेतन शुक्ला
लखनऊ
अलीगंज