Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2024 · 1 min read

प्रकृति कि प्रक्रिया

प्रकृति कि प्रक्रिया एक बीज को पहले जमीन मे बोया जाता है फिर वह अंकुरित होता फिर छोटा सा पौधा बनता है धीरे धीरे वह एक विशाल वृक्ष का रूप ले लेता है यह एक प्रकृति की सतत प्रक्रिया है जो क्रम बद्ध तरीके से चलता रहता है
ठीक उसी प्रकार हमारे साथ भी जो कुछ होता है वह अचानक नही होता है प्रकृति ने पहले से तय करके रखा है
हम एक प्रक्रिया मात्र है हो निरंतर चलते रहते है

203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़रूर है तैयारी ज़रूरी, मगर हौसले का होना भी ज़रूरी
ज़रूर है तैयारी ज़रूरी, मगर हौसले का होना भी ज़रूरी
पूर्वार्थ
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
बेपरवाह खुशमिज़ाज़ पंछी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
उसकी गलियों में कदम जब भी पड़े थे मेरे।
Phool gufran
आजादी का उत्सव
आजादी का उत्सव
Neha
" शौक "
Dr. Kishan tandon kranti
कितने बदल गये
कितने बदल गये
Suryakant Dwivedi
कब किसी बात का अर्थ कोई,
कब किसी बात का अर्थ कोई,
Ajit Kumar "Karn"
मेरी मायूस सी
मेरी मायूस सी
Dr fauzia Naseem shad
अल्फाज़
अल्फाज़
Shweta Soni
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा
Shashi kala vyas
वायदे के बाद भी
वायदे के बाद भी
Atul "Krishn"
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
वफ़ा की परछाईं मेरे दिल में सदा रहेंगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जब टूटा था सपना
जब टूटा था सपना
Paras Nath Jha
कीमती
कीमती
Naushaba Suriya
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं
Rekha khichi
शतरंज
शतरंज
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कोई पागल हो गया,
कोई पागल हो गया,
sushil sarna
बिटिया और धरती
बिटिया और धरती
Surinder blackpen
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
खामोशियों की वफ़ाओं ने मुझे, गहराई में खुद से उतारा है।
Manisha Manjari
बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
बढ़ी हैं दूरियाँ दिल की भले हम पास बैठे हों।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रागात्मकता +रमेशराज
कवि रमेशराज
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
सब कुछ खोजने के करीब पहुंच गया इंसान बस
Ashwini sharma
भोले बाबा की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
भोले बाबा की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
*श्रम साधक *
*श्रम साधक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3058.*पूर्णिका*
3058.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता
Sandeep Kumar
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
*पुरखों की संपत्ति बेचकर, कब तक जश्न मनाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
परिवार का एक मेंबर कांग्रेस में रहता है
शेखर सिंह
मुमकिन हो जाएगा
मुमकिन हो जाएगा
Amrita Shukla
Loading...