प्रकृति का हरण
जल थल नभ सब पर वर्चस्व मेरा यही सोच यही जज्बा था तेरा
घमंड में मगरूर होकर इतराता रहा तू देख तेरा तो खुद का वजूद भी नहीं है तेरा।
अब तक तू इठलाता रहा, स्वामित्व सब पर जताता रहा
कृतज्ञता का भाव कभी अंदर ना रहा
सोच थी तेरी यही बस ,सब कुछ मेरा सिर्फ मेरा
देख तेरा तो खुद का वजूद भी नहीं है तेरा
पिंजरबद्ध किया जीवों को, प्रकृति पर किया प्रहर
समझा महत्वहीन सबको तूने, माना ना कभी किसी का आभार
लिप्तरहा स्वार्थसिद्धी में गाता रहा राग मेरा मेरा
देख तेरा तो खुद का वजूद भी नहीं है तेरा
एक छोटे से वायरस ने दिखादी, दिखादी तुझे अपनी औकात
कूदरत के आगे तू भी सिर्फ़ है एक मोहरा,तेरी अपनी नहीं कोई बिसात
क़ैद हुआ अपने ही आशियाने में,जो समझता था सब पर वर्चस्व मेरा
देख तेरा तो खुद का वजूद भी नहीं है तेरा
कोरोना के रूप में प्रकृति दे रही तुझे संदेश
संभलजा ए मानव ,वरना बचेगा नहीं तेरा अंश मात्र भी शेष
दया प्रेम का भाव दिखा तू,प्रकृति का कर आदर तू
क्यूँकि जीवन पर हक़ है समान सबका सिर्फ इख्तियार नहीं है तेरा
देख तेरा तो खुद का वजूद भी नहीं है तेरा
सारिका फ़लोर