Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Apr 2021 · 1 min read

प्रकृति का श्रृंगार

बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है
प्रकृति से समन्वय का
अवसर अभी बाकी है
अरुणिम प्रभात-फेरियों का
आलोक अभी बाकी है
बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है।

जीव-जगत,जड़ और चेतन
प्रकृति की अनुपम कृतियाँ हैं
वृक्ष-धरा और नदी-घटाएँ
जिसकी जीवन्त आभाएँ हैं
क्या भौतिक विषयों का
आविष्कार अभी बाकी है?
बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है।

खोद धरा और वृक्ष काट
प्रकृति को विकृति बना दिया
वसुधा पर तो चलना क्या
चन्द्र पर भी यान चला दिया!
आदित्यरूप सूर्यातप का
प्रकोप अभी बाकी है
बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है।

सृष्टि-पूर्व की वही दशाएँ
अवश्य धरा पर आएंगी
शून्य होगी यह वसुधा
जब प्राणिविहीन हो जायेगी
क्या तुझमे इसी प्रलय की
अभिलाषा अभी बाकी है?
बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है।

अब रोक ले ऐ इंसान
अपने विनाशक बढ़ते कदम
कर वृक्षारोपण,प्राणी संरक्षण
और लौटा दे सृष्टि की आभाएँ
जो बचाएगी प्राणिजगत
प्रकृति की वात्सल्यता अभी बाकी है
बसंत की नवमालिका का
श्रृंगार अभी बाकी है।

– सुनील कुमार

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 536 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उनसे मुहब्बत करने से पहले ये देखना ज़रूर,
उनसे मुहब्बत करने से पहले ये देखना ज़रूर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल से निकले हाय
दिल से निकले हाय
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
बचपन से जिनकी आवाज सुनकर बड़े हुए
ओनिका सेतिया 'अनु '
DR Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
DR Arun Kumar shastri एक अबोध बालक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
मैं जिस तरह रहता हूं क्या वो भी रह लेगा
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
ग़ज़ल _ बादल घुमड़ के आते , ⛈️
Neelofar Khan
बोझ
बोझ
Dr. Kishan tandon kranti
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
जैसे ये घर महकाया है वैसे वो आँगन महकाना
Dr Archana Gupta
समरसता की दृष्टि रखिए
समरसता की दृष्टि रखिए
Dinesh Kumar Gangwar
मुद्दत से संभाला था
मुद्दत से संभाला था
Surinder blackpen
"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
पूर्वार्थ
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
*गोरे से काले हुए, रोगों का अहसान (दोहे)*
Ravi Prakash
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अदा बोलती है...
अदा बोलती है...
अश्क चिरैयाकोटी
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
तुम्हारा जिक्र
तुम्हारा जिक्र
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
खुद के हाथ में पत्थर,दिल शीशे की दीवार है।
Priya princess panwar
कहां जाके लुकाबों
कहां जाके लुकाबों
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अमृत मयी गंगा जलधारा
अमृत मयी गंगा जलधारा
Ritu Asooja
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
रक्षाबंधन के दिन, भैया तू आना
gurudeenverma198
लिखने के आयाम बहुत हैं
लिखने के आयाम बहुत हैं
Shweta Soni
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
बहुत गुनहगार हैं हम नजरों में
VINOD CHAUHAN
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
संघर्ष ,संघर्ष, संघर्ष करना!
Buddha Prakash
दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब  एक ही वंश के हैं फिर भी सब की
दूध, दही, छाछ, मक्खन और घी सब एक ही वंश के हैं फिर भी सब की
ललकार भारद्वाज
भगवान बुद्ध
भगवान बुद्ध
Bodhisatva kastooriya
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
एक मुठी सरसो पीट पीट बरसो
आकाश महेशपुरी
त्यौहार
त्यौहार
Mukesh Kumar Sonkar
..
..
*प्रणय*
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...