प्रकृति का विनाश
तु कहाॅ है सुना है बहुत है तु सुन्दर
क्या धरती बनाई अशुमाली और अवंर |
भुल था तेरा बना बैठा आदमी बन बैठा सिकंदर
लोभ लालच भन मे और हाथो मे खंजर ||
विनाश कर बैठा तेरा हवा पानी वृक्ष समुन्दर
मनमानी क्रोध कामुकता सब है इसके अदंर|
सम्पूर्ण विनाश तेरे कृति का देखना वो मंजर
तु कहाॅ सुना है बहुत है तु सुन्दर ||
खुरापाती मष्तिष्क मे तेरे नये सृजन का खेल जो खेले
अमूल्य वाणी ये मेरे प्रकट करता हु मन मे लेले |
फिर से तेरे कृति मे मानव का बीज न बोये
वरना इतिहास दुहरायेगा इती का सबक तु लेले ||
तु कहाॅ है सुना है बहुत है तु सुन्दर
विनाश महाविनाश सम्पूर्ण विनाश जग यही झेले
मत बनाना मानव इन्सान समझ कर जो |
प्रकृती के प्रगति पथ का प्राण लेले
तु कहा है सुना है बहुत है तु सुन्दर ||
C. B. Human
Darbhanga