*”प्रकृति का निखार”*
?प्रकृति ?
??जमीन को उपजाऊ बनाने के बाद भूमि पर बीजारोपण किया जाता है और जब बीज में से छोटी सी तने कोपल प्रस्फ़ुटित होकर बाहर निकलती है तो फिर धीरे धीरे पेड़ तैयार हो जाता है तब उस पौधों को देखकर बहुत खुशी मिलती है ऐसा लगता है मानो ईश्वर की भेजी गई वरदान हो ….! ! नई सृजनात्मक चीजों से थोड़ी सी मेहनत के बाद कितना सुखद आश्चर्य जनक परिणाम देखने को मिलता है।
पेड़ पौधों को बढ़ते हुए जब सुंदर फुलवारी उपवन तैयार हो जाता है तो ऐसा लगता है मानो एक परिवार सा बन गया हो बस सुबह शाम पौधों को पानी देना ,उसकी देखभाल करना ,धूप से बचाना, जैविक खाद डालना ,अब ड्यूटी सी बन गई है उन पेड़ पौधों को देखकर मन प्रसन्न होकर नाचने लगता हैऔर मन मे साकारात्मक ऊर्जा मिलने लगती है इन पेड़ पौधों के बिना जीवन अधूरा सा लगता है।
चाहे कड़कड़ाती ठंडी हवाएं चल रही हो ,बारिश का मौसम हो, चाहे कड़कड़ाती धूप निकली हो ,हरेक मौसम में बगीचे में उन सभी पौधों की देखभाल करना जरूरी होता है एक चाहत सी बन गई है आखिर वे पेड़ पौधे हमारी मेहनत का पूरा सुखद परिश्रम से फल , फूल , सब्जियों एवं हरी भरी सुहानी वादियों से हमें खुश कर देते हैं।
वो हमसे कुछ मांगते नहीं है लेकिन चुपचाप से शांतिपूर्ण तरीके से हमें सभी मौसम में फल , फूल वरदान के रूप में प्रदान करते रहते हैं उन्हें कोई शिकायत भी नहीं रहती है बल्कि हम ही उन्हें कभी काट छांट कर उनमें पुरानी पत्तियों को निकाल कर फेंकते जाते है ताकि उन मुरझाते सूखी पत्तियों की जगह नई कोपलें आने लगे इसी तरह पुराने पत्तों के झड़ जाने के बाद ही नई पत्तियों का पुनः निर्माण होता है।
प्रकृति भी खुद नये रूप परिवर्तित कर नए सिरे से आकार ले लेती है।
छोटे पेड़ बड़े आकार में परिवर्तित हो कर पौधों का रूप ले लेते हैं ।फूलों भी हर सीजन मौसम में अलग अलग पुष्पों से खुशबू बिखेरते रहते हैं।
कभी कभी आने जाने वाले बगीचे को देखकर प्रकृति का नजारा देखते हुए मन ही मन खुश हो जाते हैं। औषधि के पेड़ों को भी लगाकर उनसे लाभ लेने से घरों पर ही कुछ पौधों से प्राकृतिक लाभ मिलता है।
अगर किसी व्यक्ति को फल ,फूलों की आवश्यकता होती है तो बेझिझक तोड़ लेता है पेड़ पौधे किसी को मनाही नहीं कर सकते हैं बेचारे बेजान से खड़े होकर भी हमारे शरीर मे शुद्ध हवाओं के जरिये हम सभी को प्रकृति की ओर निहारने को मजबूर कर देते हैं।
पेड़ों की शुद्ध हवाओं से जो ताजगी मिलती है कुछ देर सुबह शाम बैठकर प्रकृति के उन नजारों को निहारते हुए सचमुच ऐसा लगता है कि ईश्वर ने प्रकृति अमूल्य धरोहर अमृत तुल्य वरदान हमें देकर सम्मानित किया है और हम भी ईश्वर का तहे दिल से धन्यवाद देते हैं जो हमें उन पेड़ पौधों की देखभाल करने का अवसर सौभाग्य प्राप्त होता है और पेड़ों की सेवा करने का मौका मिलता है जिससे हमें यह भी मालूम पड़ता है कि जब हम प्रकृति से लगाव रखते हैं तो प्रकृति भी हमारी तरफ झुकती है और हमें सलाम करती है दुआएं भी देती है जिससे हमें जीवन में शुभ कार्य करने का अदभुत संतोष सुख प्राप्त होता है।
प्रकृति का निखार से मन प्रसन्नचित्त हो तरोताजा हो जाता है इससे असीम शक्ति मिलती है जो शायद इसी प्रकृति के कारण से संभव है अपने संयम व परोपकार से ,उन पेड़ पौधों की सेवा करने का सुखद आश्चर्य जनक परिणाम मिल रहा हो ….! ! !
जहां भी रहे वहां पेड़ पौधे लगाकर उनकी देखभाल कर सुरक्षित जीवन जीने का दृढ़ संकल्प लें हरी भरी वादियों को देखकर स्वंय ही नही वरन सभी को आत्मिक शांति मिलती रहे इसी आशा विश्वास के साथ में सभी देशवासियों से करबद्ध प्रार्थना है कि पेड़ लगाएं उनकी सेवा देखभाल करें ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी नया संदेश दें आखिर प्रकृति हमारे लिए वरदान है …..! ! !
???????????☘️????
शशिकला व्यास ✍️