”प्रकृति का गुस्सा कोरोना”
बच्चे, वृद्ध, नौजवान बैठे थे
नव वर्ष 2020 आगमन के इंतजार में,
दस्तक कोरोना की मचा गई तबाही
बुरी तरह हिला मानव प्रकृति की मार में।
दिखे वहीं सिर्फ मार्मिक हाहाकार
सुना मंजर पसरा नगर नगर में,
चपेट में आए गांव और ढाणी भी
मूक ताला लगा देश विदेश भ्रमण में।
सबके कदम अनायास ही रुक गए
चाह कर भी बाहर निकल ना पाएं,
भय का वातावरण सबको हुआ महसूस
खुली हवा में सांस भी ना ले पाएं।
किसी ने कहा दुर्लभ वायरस इसे
कोई इसे संक्रमण का खतरा बताए,
मीनू ने नाम दिया इसे प्रकृति की मार
जो आज हम सब को भुगतनी पड़ जाए।
नहीं रखा ध्यान हमने प्रकृति का
तभी तो आज घुटना पड़ गया,
वायरस संक्रमण तो बस बहाना है
गुस्सा प्रकृति का कोरोना जिद्द पर अड़ गया।
डॉ मीनू पूनिया, जयपुर राजस्थान