प्रकृति का कण-कण बोलता है।
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
ध्यान से सुनो हर चीज का अर्थ होता है!!
पक्षियों का चहचहाना,,,
पशुओं का रंभाना,,,
सब में जीवन का होना,,,
मेघा का वर्षा का बुलाना,,,
बारिश का होना,,,
कुछ ना कुछ तो होता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
पेड़ के पत्तों का सरसराना,,,
फसलों का लहराना,,,
हवा का यूं गुनगुनाना,,,
बादल का गर्जना,,,
बिजली का आसमां पर चमकना,,,
इन सब से पता चलता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
जल का जमकर बर्फ बन जाना,,,
सूर्य की तपिश से फिर पिघल जाना,,,
पहाड़ों से कल कल करते झरनों का बहना,,,
छोटे से बीज के अंकुर से पेड़ों का बन जाना,,,
प्रकृति का सफेद चादर का ओढ़ना,,,
सब तो हमें बताता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
परिंदों का प्रतिदिन दूर गगन उड़ जाना,,,
संध्या काल पे पुनः वापस आ जाना,,,
प्रत्येक जीव का चलते रहना,,,
कभी बनकर राहत तो कभी बनकर आफत,,,
यूं प्रकृति का आना,,,
यह सब मानव को समझाता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
कोयल का कूंकू करना,,,
पपीहे का गीत गाना,,,
मौसम का स्वयं बदलना,,,
पेड़ों में फलों का आना,,,
सूर्य किरण में पुष्पों का खिल जाना,,,
कितना कुछ तो दिखता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
कभी सूखा तो कभी बाढ़ का आ जाना,,,
भोर पहर ओस की बूंदों का मोती बन जाना,,,
पतझड़ में पत्तों का झड़ जाना,,,
बसंत ऋतु में नए पत्तों का आना,,,
प्रतिदिन सूर्य का उगना और डूब जाना,,,
सब में कितना संतुलन होता है!!
प्रकृति का कण-कण बोलता है!!
ताज मोहम्मद
लखनऊ