सहरा से नदी मिल गई
आप क्या मिल गए जिंदगी मिल गई
खुश्क सहरा को जैसे नदी मिल गई
हुस्न के साथ गर सादगी मिल गई
समझो दौलत बड़ी क़ीमती मिल गई
अब हमें आरज़ू आखिरी मिल गई
आपके रूप में हर खुशी मिल गई
ज़िंदगी तुझको अब और क्या चाहिए
ग़म के आंसू मिले, बेकली मिल गई
सब दुखों को हमें भूल जाना पड़ा
खुश तुम्हें देखकर हर खुशी मिल गई
दुशमनों की ज़रूरत कहाँ अब रही
आपकी जब हमें दोस्ती मिल गई
दिल तो ‘अरशद’ जलाते रहे रात भर
पर ज़माने को’ इक रौशनी मिल गई