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1 Apr 2022 · 1 min read

सहरा से नदी मिल गई

आप क्या मिल गए जिंदगी मिल गई
खुश्क सहरा को जैसे नदी मिल गई

हुस्न के साथ गर सादगी मिल गई
समझो दौलत बड़ी क़ीमती मिल गई

अब हमें आरज़ू आखिरी मिल गई
आपके रूप में हर खुशी मिल गई

ज़िंदगी तुझको अब और क्या चाहिए
ग़म के आंसू मिले, बेकली मिल गई

सब दुखों को हमें भूल जाना पड़ा
खुश तुम्हें देखकर हर खुशी मिल गई

दुशमनों की ज़रूरत कहाँ अब रही
आपकी जब हमें दोस्ती मिल गई

दिल तो ‘अरशद’ जलाते रहे रात भर
पर ज़माने को’ इक रौशनी मिल गई

3 Likes · 2 Comments · 703 Views
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