“प्यासा” “के गजल”
“प्यासा” “के गजल”
टुटेगा जब दिल ,वफा जान जाओगे।
तोड़ने का फलसफा जान जाओगे।
यूं हँसते नही तो अच्छा था मुझपे ,
इक दिन नुकसान नफा जान जाओगे।
क्या होता है बढ़ती उम्र में जीना
समझोगे तुम दबदबा जान जाओगे।
यूं जीना ढीठ होता कितना अच्छा ,
दिल की जली हरदगा जान जाओगे ।
–“प्यासा”