‘प्याला’
एक प्याला अदब से बैठा हुआ,
राह तेरी ताकता रहा,
ज़ालिम तूने जाते हुए भी,
उससे कुछ नहीं कहा।
मिठास मिश्री की घुली हुई थी,
उबले हुए उस पानी में,
दो आँखें उसकी डूबी रही,
तेरी जाती हुई रवानी में
एक प्याला अदब से बैठा हुआ,
राह तेरी ताकता रहा,
ज़ालिम तूने जाते हुए भी,
उससे कुछ नहीं कहा।
मिठास मिश्री की घुली हुई थी,
उबले हुए उस पानी में,
दो आँखें उसकी डूबी रही,
तेरी जाती हुई रवानी में