प्याला।
क्यों दुर्बल खुद को समझ रहा।
तू अमित शक्ति की हाला है।
हर तत्व समाहित हैं तुझमें।
तू इसीलिए तो प्याला है।
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निजता जब भी बिसरायी है।
आंचल को फैला पाया है।
वसुधा का प्रेम अबाधित तब।
प्याले ने भर भर पाया है।
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उसने जिसने की आस नहीं।
जो भी पाया स्वीकार किया।
जीवन जी सका वही प्याला।
जिसने हर पल से प्यार किया।
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नैराश्य आस के संगम पर।
मधु की धाराएं बहती हैं।
उन प्यालों की जिव्हा कायर।
जो तट पर बैठ तरसती हैं।
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आनंदित रहने की धुन है।
यह धुन प्याले की हाला है।
मदिरालय वह मधुबाला वह।
वह हाला है वह प्याला है।
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कुमारकलहंस।