प्यार ही प्यार हो हर जगह एक ऐसी खुशी चाहिये
प्यार ही प्यार हो हर जगह एक ऐसी खुशी चाहिये
इन गुलों सी महकती हुई अब हमें ज़िन्दगी चाहिये
मत करो बात अब युद्ध की ,बात केवल करो बुद्ध की
पथ न हिंसा का अब तुम चुनो ,बात शैतान की मत सुनो
अब तो इंसानियत की हमें,दिल कहे बन्दगी चाहिए
आज आतंक फैला हुआ ,मन हवा सा विषैला हुआ
नफरतों से पटी ये धरा ,कैसे ले साँस कोई जरा
दर्द से राहतों के लिये,चैन की बाँसुरी चाहिये
अक्ल पर भ्रम केताले पड़े ,सोच पर आज जाले पड़े
लालसा इतनी चढ़ सर गयी ,आत्मा ही लगे मर गयी
लील ले जो अँधेरे घने, अब वही रोशनी चाहिये
2-3-2022
डॉ अर्चना गुप्ता