“प्यार सिखाते हैं”
हम ज़िन्दगियों को बनाने का काम करते हैं,
प्यार सिखाते हैं,नफरतों को तमाम करते हैं !
शहर में , सहमा हुआ है हर एक आदमी,
चलो,गले मिल आयें सबके घर चलते हैं !
तेरी हुकूमत में, ये क्या क्या हो रहा है ,
रोज कई सूरज उगने से पहले ही ढलते हैं !
उनको मालूम नहीं है, वो अन्जान हैं “श्री”,
रोशनी के लिए,हम रोज शमां बन जलते हैं !