!!! प्यार या हवस !!!
कोन करता है अब प्यार
वो करने वाले अब कहाँ
जिस तरफ देखो इक आग है
जली हुई वासना के लिए..
बर्बाद हो रही जिन्दगीयाँ
इस खुराफात के लिए
तलाश में रहती है अब
किसी न किसी शिकार के लिए ..
काम वासना को लेकर
चल रही हैं आँखे उनकी
किसी तरह हवस मिटे
तन की तलाश के लिए …
आँखों पर बन्ध गयी है
पट्टी कुछ और दिखता नहीं
जहाँ देखा किसी अबला को
मिटाने चल देता बर्बादी के लिए…
प्यार कहता है अब वो काम को
रोज नए खोजता शिकार के लिए
अनजान रहती हैं वो भी फसने को
खुद को बर्बाद होने के लिए..
अजीत कुमार तलवार
मेरठ