‘प्यार मेरा’
तुम भूल गए क्या गिला करें
तुम, तुम जैसे थे हम जैसे नहीं,
कुछ अश्क़ बहेंगे याद में बस
अब दर्द का सावन रहने दो।
तेरे सुर्ख लबों के रंग से फिर
मुझे बिखरे ख्वाब संजोने दो,
मैं हूँ प्यार का मारा बेचारा
मुझे बेकस बेखुद रहने दो।
-भरत यादव