प्यार में मुझको सताना छोड़ दे
प्यार में मुझको सताना छोड़ दे
अब मेरे ख़्वाबों में आना छोड़ दे
जब यक़ीं करता है मुझ पर सौ टका
खामखां फिर आज़माना छोड़ दे
ख़ुद हंसा कर औ’र हंसाया भी तो कर
दर्द के किस्से सुनाना छोड़ दे
प्यार के दीपक जला दे हर जगह
आग नफ़रत की जलाना छोड़ दे
ख़ूबियां सबकी फ़क़त अपना ले बस
सबकी कमियां तू गिनाना छोड़ दे
सच के रस्ते पर चला चल शादमाँ
झूट का हर आशियाना छोड़ दे
पैरहन हो जा हवाओं का कभी
छाप अपनी ख़ुश्बुआना छोड़ दे
प्यार की दौलत कमाकर रख सदा
नफ़रतों का हर ख़ज़ाना छोड़ दे
इल्तिज़ा ‘आनन्द’ की तुझसे यही
तीरगी से घर सजाना छोड़ दे
– डॉ आनन्द किशोर