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2 Jun 2022 · 1 min read

प्यार में बगावत

212 212 1222
*रदीफ़ – है क़ाफ़िया :- अत
***********************
***** प्यार में बगावत *****
***********************

आपकी हो गई इनायत है,
आपकी ही करें इबादत है।

बात बनती बिगड़ बिखर जाती,
जिंदगी तो बनी अदालत है।

तोड़ती हर असूल आने पर,
प्रेम पथ पर मिली बगावत है।

दूर होते हैं नसीब मस्तक से,
मांगती प्यार में शहादत है।

है दवाई सटीक मनसीरत,
मिरी अस्मत तिरी अमानत है।
************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

238 Views
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