प्यार में झारखंड हो गयी !
शादी से पूर्व मैं सिर्फ़ यही चाहती हूँ
कि प्यार में झारखंड होना चाहती हूँ,
क्योंकि यहाँ है हरियाली
और आपदाएँ कम !
यहाँ है मस्त जंगल-झाड़,
केन्दु फल को खाना,
तारकुनों के रस से सराबोर होना,
वनवासियों के साथ सँवरना,
झूमने-नाचने-गाने
और गुनगुनाने से लेकर
स्वप्निल दुनियाओं में खोना चाहती हूँ
कि प्यार में झारखंड होना चाहती हूँ !
हिरणों से मदहोशियाँ सीखूँगी,
सुग्गे-मैने की किलकारियाँ,
बत्तखों से कल्लोलिनी सीखकर
पिया मिलन की गीत गाऊँगी,
जब वे सब्ज़बाग दिखाएँगे,
तो उनके लिए खमरालुओं की
सब्जी बनाऊँगी नमक ढेर डालकर।
जंगलों में रहवासिनियों के साथ
पोखरों में स्नान करूँगी
खाना पकाने के बाद।
हिंसक मच्छरों का भय है यहाँ,
गोकि जंगलों में रात नहीं चाहती हूँ
कि प्यार में झारखंड होना चाहती है !