प्यार में एतबार कहाँ
**** प्यार में एतबार कहाँ ****
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आज के प्यार में एतबार कहाँ
गिरते हैं हर मोड़ पर ,सवार कहाँ
जवानी के नशे में हैं बेकरार
प्रेम के शुद्ध रंग में इजहार कहाँ
रूठना मनाना भी कहाँ लोप हुआ
नैन नखरीले नहीं, है इन्कार कहाँ
आँखों से जो समझे प्रेम की भाषा
आग लगे तन मन में इकरार कहाँ
इश्क खुमारी का नशा है नशीला
शिकारी अवरोध में, शिकार कहाँ
मनसीरत सच्चे प्रेम की कद्र नहीं
झूठे वादे इरादे,पावन विचार कहाँ
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल(