प्यार भरे दिन
मिले हो तुम हमको जबसे
संवर गई है मेरी जिंदगी तबसे
फकत बह रहा था दिल का दरिया
फव्वारे उसमें भी दिखने लगे है तबसे।।
दिखती थी कोरे कागज़ सी जो
उस ज़िंदगी में तेरी तस्वीर उतर गई
थी दिल में जो भी उदासियां मेरे
तेरे आने के बाद जाने किधर गई।।
आई है तू जीवन में मेरे जबसे
मेरी ज़िंदगी की भी चल पड़ी है
देखी नहीं थी बरसों से जो हंसते
वो मुस्कुराहट मेरे सामने खड़ी है।।
सोचता हूं अब भी मैं, क्यों तू,
पहले आया नहीं ज़िंदगी में मेरी
जाने क्यों तुम्हें, थोड़ा भी तरस
आया नहीं इस ज़िंदगी पर मेरी।।
है हाल मेरे ये, जब अभी
मिलते हैं हम कभी कभी
फिर भी खुशियों से लग रही है
मेरी ये ज़िंदगी भरी भरी।।
मिलते है जब कहीं हम दोनों
अपनों की नज़रों से बचते हुए
देखकर तुमको लगता है मुझे
क्या सोचा होगा रब ने, तुम्हें रचते हुए।।
देखता हूं मुड़कर कभी उन यादों को
मिलना पड़ता था जब ज़माने से छुपकर हमें
घूमना एक दूसरे का हाथ पकड़कर
खुशियां देता था दुनियां जहां की हमें।।
था सुहाना वो हमारे रिश्ते का पहला पड़ाव
लौट आए फिर वो लम्हें, लगे कुछ ऐसा
छोड़कर ये दुनियादारी के सब झंझट अब
भूल जाएं हम दुनिया को, करो कुछ ऐसा।।