“प्यार भरा ख़त”
“प्यार भरा ख़त”
ख़त को पकड़ा जो कलम के साथ
प्यार का नज़राना लिखने को मचला।
अहसास किया एक दिन कुछ नया होगा
पुराना छोर नया दोर…नई भोर।
प्रफुल्लित होगा जहान..सोच ने सोचा
जहान ने रोका।
चिंता को छोड़..प्यार की डोर
जो पकड़ी तो फिर..किसी ने ना टोका।
बंद द्वार खुला तो रोशन हुआ झरोखा।
चमकती धूप का नजराना खिड़की से गुजरा तो खिल गया आशियाना।
मुहब्बत ने राग छेड़ा, गीतों का हुआ बसेरा। संगीत बना कर्नफूल
खिलता हुआ नूर
अर्शु की बूँद..जागती और जगाती
मानो जैसे हो सीप का मोती।
अंगड़ाई ने करवट ली,रात दिन में जागी
लबों पर मुस्कराहट, मीठी सी सिंहर
भली सी लागी।
मुहब्बत का यह ख़त, लफ़्ज़ों को दिल से जोड़ पाया
बन गया एक साया,बंधन को तोड़ ना पाया।
सरमाया मुहब्बत का, दिल जान से लिख पाया
आशा को उम्मीद बनाया, ख़त को डाक तक पहुँचाया❤️
स्वरचित एंव मौलिक
“सपना अरोरा”
(बैंकॉक)