प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार उस लोक कथा का हाथी है जिसमें हाथी के अलग अलग अंगों को छू कर हर अंधा अपने तरीके से उसके रंग–रूप का वर्णन करता है।
प्यार/प्रेम की कोई एकमत परिभाषा कतई नहीं हो सकती।
प्यार उस लोक कथा का हाथी है जिसमें हाथी के अलग अलग अंगों को छू कर हर अंधा अपने तरीके से उसके रंग–रूप का वर्णन करता है।