प्यार “झूठा”
सच्ची बात एक बताऊं “आलोक” आज तुम्हें समझाऊं
पहली मिलन में ऐसे बोले लैला मजनू का प्यार यही है
बातें करते इतना घुस गए अब सिर्फ मेरा प्यार यही है
झूठ की बुनियादों को हम ठीक से न जान सके
धोका हमारे सामने रहा ना उसको पहचान सके
पहले फोन पर एक घंटा 2 घंटा का पता नहीं
अब मुस्किल है 1 मिनट 1 सेकंड का पता नहीं
मेरा मन तो बस अब इतना करता संसार छोड़ रमजाऊं
सच्ची बात एक बताऊं “आलोक” आज तुम्हें समझाऊं
✍️आलोक वैद “आजाद