प्यार क्यूँ आजमाया नहीं
प्यार क्यूँ आज़माया नहीं
// दिनेश एल० “जैहिंद”
212 212 212
प्यार क्यूँ आज़माया नहीं ।।
साथ तुमने निभाया नहीं ।।
मैं तो थी राह में यूँ खड़ी,,
हाथ तुमने थमाया नहीं ।।
इश्क़ में तड़पना था तिरे,,
लेकर दिल तड़पाया नहीं ।।
आरज़ू थी मुझे बारहा,,
यार तुमने सताया नहीं ।।
राह आँखें लगी ही रहीं,,
द्वार पे तू तो आया नहीं ।।
देकर प्यार का आसरा,,
दुल्हन मुझे बनाया नहीं ।।
प्यार की दौलत पड़ी रही,,
नासमझ था कि पाया नहीं ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
02. 01. 2018